CG BREAKING : आराधना की कहानी: दर्द से सेवा तक की यात्रा

Khabri Chai Desk : बिलासपुर की आराधना त्रिपाठी ने ब्रेस्ट कैंसर की गंभीर बीमारी को हराकर न सिर्फ खुद को स्वस्थ किया, बल्कि अब वह अन्य कैंसर पीड़ितों के लिए उम्मीद की किरण बन गई हैं। फरवरी 2012 में उन्हें सेकंड स्टेज ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। शुरूआत में डर और निराशा ने उन्हें घेर लिया था, लेकिन उनके पति स्व. सुरेश त्रिपाठी ने उन्हें हिम्मत दी। ऑपरेशन अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में हुआ। इसके बाद उन्होंने मुंबई और दिल्ली के कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन अंततः अपने ही शहर में इलाज जारी रखा।लगभग आठ महीने के इलाज के बाद वे स्वस्थ हुईं। उनके पति ने उन्हें सुझाव दिया कि अपने अनुभवों से दूसरों की मदद करें। यहीं से उनके काउंसलिंग सफर की शुरुआत हुई।
कैंसर पीड़ित से बात करती हुयी आराधना

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2019 में आराधना ने ‘स्पंदन’ नाम से एक संस्था बनाई, जिसमें कैंसर से जंग जीत चुके लोग दूसरों की काउंसलिंग करते हैं। शुरुआत 8 सदस्यों से हुई थी, जो अब बढ़कर 17 हो चुके हैं। यह टीम विभिन्न कैंसर पीड़ितों का मनोबल बढ़ाने और इलाज में मदद करने का कार्य कर रही है।कैंसर से जूझते समय आराधना को स्पेशल ब्रेजियर की कमी खली। अब वे खुद इन्हें बनवाकर मात्र 1 हजार रुपये में पूरे भारत में भेज रही हैं, जबकि बाजार में इनकी कीमत 5 हजार से अधिक है।आराधना की यह यात्रा बताती है कि मजबूत हौसला और सकारात्मक सोच से किसी भी मुश्किल को मात दी जा सकती है।
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Author: Khabri Chai

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