Khabri Chai Desk : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दिशा-निर्देशन में लागू की गई शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति प्रदेश के विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में अहम भूमिका निभा रही है। इस नीति के तहत अतिरिक्त और रिक्त पदों का संतुलन कर शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जा रही है, जिससे दूरस्थ और वनांचल क्षेत्रों में भी विद्यार्थियों को अब नियमित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। इसका स्पष्ट उदाहरण है कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र में स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, कोरकोमा, जहां 319 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। पहले यहां शिक्षकों की कमी के चलते कई कालखंड खाली चले जाते थे और पढ़ाई प्रभावित होती थी। लेकिन युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत रामेश्वरी रत्नाकर और पद्मा निषाद की पदस्थापना के बाद अब सभी कक्षाएं नियमित रूप से संचालित हो रही हैं।
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प्रधानपाठक गोपाल प्रसाद साव के अनुसार, पूर्व में यहां दो शिक्षकों की कमी थी, जिसे अब पूरा कर लिया गया है। नई शिक्षिकाओं ने आते ही कक्षाएं लेना शुरू कर दिया है। श्रीमती रत्नाकर अंग्रेजी विषय पढ़ा रही हैं, जबकि श्रीमती निषाद सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और हिंदी विषयों की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। विद्यार्थियों सुनील, समीर, गुंजन, स्नेहा, राकेश और साहिल ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि अब कोई कालखंड खाली नहीं जाता और पढ़ाई नियमित रूप से चल रही है। 5 से 7 किलोमीटर दूर से आने वाले छात्रों के लिए यह बदलाव राहत भरा है।
यह पहल न केवल विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर को ऊंचा उठा रही है, बल्कि अभिभावकों का भी विद्यालय पर विश्वास बढ़ा रही है। यह नीति शिक्षा के अधिकार को सशक्त बनाते हुए यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रदेश का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
