रायपुर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए, 2002 के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ में चिकित्सा उपकरण एवं री-एजेंट खरीद घोटाले की जांच में 30 और 31 जुलाई 2025 को रायपुर समेत 20 ठिकानों पर छापेमारी की। यह तलाशी शशांक चोपड़ा, उनके परिवार, व्यवसायिक साझेदारों और राज्य के अधिकारियों से जुड़े परिसरों में की गई। तलाशी के दौरान ईडी को आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण, बैंक खातों में जमा राशि, सावधि जमा, डीमैट खाते, कीमती वाहन समेत कुल 40 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति मिली, जिसे ज़ब्त/फ्रीज कर लिया गया है।
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गौरतलब है कि मोक्षित कॉर्पोरेशन से संबंधित दस्तावेज ईडी को आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) से प्राप्त हुए थे। जांच में मनी लॉन्ड्रिंग की पुष्टि हुई, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। यह घोटाला पहले विधानसभा में उठा था, जिसके बाद 22 जनवरी को EOW-ACB ने केस दर्ज किया और CGMSC के पांच अधिकारियों समेत मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जांच में सामने आया कि 2020 से 2024 के बीच CGMSC ने मोक्षित कॉर्पोरेशन से महंगे दामों पर उपकरण खरीदे। उदाहरणस्वरूप, 8 रुपये की ब्लड कलेक्शन ट्यूब 2,352 रुपये में और 5 लाख की मशीन 17 लाख में खरीदी गई। सामान्यतः महीनों लगने वाली खरीद प्रक्रिया को मात्र 26 दिनों में निपटा दिया गया।
