रेलवे ने अपने सुरक्षित संचालन के लिए इंजन कवच किया लैस

Khabri Chai Desk : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का पहला रेल इंजन कवच प्रणाली से लैस हो गया है। यह स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे खासतौर पर इस मकसद से विकसित किया गया है कि ट्रेनों के बीच टक्कर की आशंका खत्म हो और लोको पायलट को केबिन से ही सिग्नल और ट्रेन की स्थिति की वास्तविक जानकारी मिल सके।
भिलाई के इलेक्ट्रिक लोको शेड में 21 अगस्त को लोको नंबर 37704 डब्ल्यूएपी-7 को कवच तकनीक से लैस किया गया। इस मौके पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के प्रधान मुख्य विद्युत इंजीनियर और रायपुर मंडल रेल प्रबंधक मौजूद थे। इसके साथ ही इस प्रणाली को अब धीरे-धीरे बाकी 551 रेल इंजनों में भी लगाया जाएगा। शुरुआत नागपुर से झारसुगुड़ा रेलखंड पर की गई है, जहां इस तकनीक का काम तेजी से चल रहा है।

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रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, कवच प्रणाली ट्रेन की गति और सिग्नल को आपस में इंटरलिंक कर देती है। यानी यदि आगे खतरा है या सिग्नल रेड है, तो ट्रेन अपने आप रुक जाएगी। पटरियों पर लगे आरएफआईडी टैग से लोकोमोटिव की सटीक लोकेशन मिलती है और वायरलेस नेटवर्क के जरिए स्टेशन, सिग्नल और समपार फाटकों की जानकारी सीधे लोको पायलट तक पहुंचती है।अफसरों ने बताया कि इस तकनीक के बाद दो ट्रेनों के आमने-सामने टकराने की संभावना पूरी तरह खत्म होगी, सिग्नल या स्पीड से जुड़ी गड़बड़ियों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर भी रोक लगेगी, हाई स्पीड ट्रेनों का संचालन और सुरक्षित होगा। साथ ही, लोको पायलट को लगातार सटीक जानकारी मिलने से उनका काम आसान होगा।

 

गौरतलब है कि यह पूरी तरह भारतीय तकनीक है। इसका पहला जीवंत परीक्षण मार्च 2022 में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल में किया गया था। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक तरुण प्रकाश ने कहा है कि यात्रियों और रेलकर्मियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। कवच प्रणाली इस दिशा में एक बड़ा कदम है और आने वाले समय में यह भारतीय रेलवे की सुरक्षित और आधुनिक सेवाओं की रीढ़ साबित होगी।
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Author: Khabri Chai

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