रायपुर। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में आयोजित बस्तर दशहरा महोत्सव में अपने संबोधन के दौरान नक्सलवाद और बस्तर के विकास पर जोर दिया। 75 दिनों तक चलने वाला यह महोत्सव आदिवासी समाज के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव माना जाता है। श्री शाह ने कहा कि नक्सलवाद के कारण बस्तर विकास की दौड़ में पीछे रहा है, और 31 मार्च 2026 के बाद नक्सलवादी बस्तर के विकास और लोगों के अधिकारों को रोक नहीं पाएंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नक्सली बच्चों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए स्थानीय लोगों की मदद जरूरी है। उन्होंने बस्तर क्षेत्र में सरेंडर नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले एक महीने में 500 से अधिक लोग हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।
श्री शाह ने बस्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, और लघु उद्योगों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।बस्तर दशहरा महोत्सव के दौरान आयोजित बस्तर ओलंपिक, खान-पान, कला, वेश-भूषा और वाद्य यंत्र को विश्व स्तर पर आकर्षण का केंद्र बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मुरिया दरबार और आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने की ऐतिहासिक परंपरा की भी सराहना की।
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केन्द्रीय गृह मंत्री ने स्वदेशी जागरण मंच के स्वदेशी मेलों और स्वदेशी वॉकथॉन का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि हर नागरिक स्वदेशी का संकल्प अपनाए, तो भारत दुनिया की सर्वोच्च आर्थिक शक्ति बनने में सक्षम होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री डॉ. विजय शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। श्री शाह ने प्रधानमंत्री आवास योजना और महतारी वंदन योजना के तहत बस्तर की माताओं और आदिवासी समुदाय को दिए गए लाभों का भी उल्लेख किया।
शाह ने कहा कि बस्तर दशहरा महोत्सव न केवल सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, बल्कि यह आदिवासी समाज को जोड़ने और पूरे बस्तर को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करता है।





