Kahbri Chai Desk : छत्तीसगढ़ में लगभग 43 साल तक सक्रिय रहे कुख्यात नक्सली मंदा रूबेन उर्फ कन्नना उर्फ मंगना उर्फ सुरेश (67) ने तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। यह नक्सली साल 1991 में जगदलपुर जेल ब्रेक का फरार आरोपी भी रह चुका है और वर्तमान में DVCM ( डिस्क्रीट वेपर कैविटी मॉडल ) कैडर का नक्सली था। वह बस्तर और तेलंगाना—दोनों राज्यों में सक्रिय था, और उस पर 10 लाख रुपए से अधिक का इनाम घोषित था।

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मंदा रूबेन तेलंगाना के हनुमाकोंडा जिले के बंगापाडु गांव का रहने वाला है। 1979 में उसने वारंगल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान रैडिकल स्टूडेंट्स यूनियन के संपर्क में आकर 1981 में भूमिगत हो गया। इसके बाद उसने राष्ट्रीय उद्यान दलम और लंकापापिरेड्डी दलम में काम किया और धीरे-धीरे संगठन में ऊंचे पद पर पहुंच गया।
1987 से 1991 के बीच उसने कोंटा क्षेत्र में 6 लोगों की हत्या की और गोलापल्ली-मरईगुड़ा हमले (1988) में शामिल रहा, जिसमें 20 CRPF जवान शहीद हुए थे। वह येतिगडू हमले में भी शामिल था, जहां 8 पुलिस जवानों की हत्या की गई थी। 1990 में उसने रमन्ना के साथ तारलागुड़ा थाने पर हमला किया, जिसके बाद उसे छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अब उसने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया है।
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