Khabri Chai Desk : छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बहुत कम लोग जानते हैं कि वे सिर्फ एक प्रशासक ही नहीं, 1971 की भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना के योद्धा भी थे। शॉर्ट सर्विस कमीशन से सेना में शामिल होकर उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी और थारपारकर व नगरपरकर जैसे इलाके पर कब्जा करने में अहम भूमिका निभाई।मानेक शॉ ने उन्हें वीरता पदक से सम्मानित किया था। उस समय शेखर दत्त सेना में कैप्टन थे। उन्होंने खुद IAS अधिकारी सोनमणि बोरा को युद्ध के अनुभव साझा किए थे। दत्त ने बताया कि वे राजस्थान-गुजरात बॉर्डर पर तैनात थे और दुश्मन को कड़ा जवाब दिया था।
सेना से सेवा देने के बाद शेखर दत्त IAS अधिकारी बने। उन्होंने रक्षा, स्वास्थ्य और खेल मंत्रालय में कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। 2003 में वे स्वास्थ्य सचिव, 2005 से 2007 तक रक्षा सचिव और फिर उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) बने।
2001 में वे भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक बने और भारत ने उनके कार्यकाल में 2002 के राष्ट्रमंडल खेलों में रिकॉर्ड पदक जीते। 2010 में उन्हें छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया उनकी बहादुरी की याद में गुजरात के धारंगधारा में उनके नाम पर एक सड़क भी बनाई गई है। शेखर दत्त का जीवन राष्ट्रसेवा का प्रेरणादायक उदाहरण है – एक सच्चे योद्धा, अफसर और राष्ट्रभक्त।
