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हसदेव क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान रोपे गए 4 लाख पौधे, तैयार हुआ 15.68 लाख वृक्षों का 1200 एकड़ का नया जंगल

उदयपुर, 02 अप्रैल 2025: राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के एमडीओ एजेंट के बागवानी विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान हसदेव क्षेत्र में 4 लाख नए पौधे रोपे हैं। यह पहल खनन के बाद रिक्लेमेशन के तहत की गई, जिसके परिणामस्वरूप अब तक कुल 15.68 लाख वृक्षों का 1200 एकड़ में नया जंगल तैयार किया गया है।

आरआरवीयूएनएल के बागवानी विभाग की इस बड़ी उपलब्धि में साल के वृक्षों की नर्सरी भी शामिल है, जहां अब तक एक लाख से ज्यादा साल के वृक्ष 20 से 30 फुट लंबाई तक बढ़ चुके हैं। इसके अलावा, अन्य मिश्रित पौधों में महुआ, खैर, बरगद, बीजा, हर्रा, बहेरा जैसे वृक्ष भी रोपे गए हैं, जो पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इस कार्य में कई फलदार वृक्ष जैसे आम, अमरूद, कटहल और पपीता भी शामिल हैं।

आने वाले तीन वर्षों में 10 लाख से ज्यादा पौधे रोपने की प्रतिबद्धता
आरआरवीयूएनएल के मुताबिक, आने वाले तीन वर्षों में इस परियोजना के अंतर्गत 10 लाख से ज्यादा पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। यह कार्य क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने और पर्यावरण में सुधार लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। खनन के बाद भूमि को फिर से उपयुक्त बनाने और वृक्षारोपण के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का पुनर्निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है।

वृक्षारोपण की विस्तृत प्रक्रिया
हसदेव क्षेत्र की खदान, जो परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) खदान के नाम से जानी जाती है, में 2012 से वृक्षारोपण की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस परियोजना के तहत 45 प्रकार के वृक्षों की प्रजातियाँ रोपी गईं, जिनमें साल, खैर, बीजा, हर्रा, बहेरा, बरगद और सागौन प्रमुख हैं। खनन के कार्य के बाद, वन विभाग ने अपने तय लक्ष्य के अनुसार पेड़ों का विदोहन किया और उनकी जगह नए पौधे लगाए।

नर्सरी की सफलता
इस परियोजना में 12 वर्षों में एक लाख से अधिक साल के वृक्षों की नर्सरी तैयार की गई, जिनमें से अब तक कई पेड़ 20 से 30 फुट ऊंचे हो चुके हैं। इस नर्सरी का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार लाना और क्षेत्र को हरा-भरा बनाना है।

पर्यावरण की दिशा में सकारात्मक कदम
इस परियोजना से न केवल वनस्पति संरक्षण में मदद मिल रही है, बल्कि यह स्थानीय जलवायु को भी स्थिर करने में मदद करेगा। विशेष रूप से, इस तरह के वृक्षारोपण से मिट्टी का कटाव रोका जाता है, जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित किया जा सकता है और जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।

आरआरवीयूएनएल द्वारा किए गए इस बागवानी प्रयास से पर्यावरण संरक्षण में एक नया अध्याय जुड़ा है। इसके साथ ही, यह उदाहरण अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जहां खनन गतिविधियों के बाद पर्यावरण की पुनर्स्थापना की आवश्यकता है।

Khabri Chai
Author: Khabri Chai

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