नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पीएम मुद्रा योजना (PMMY) की 10वीं वर्षगांठ पर इसे एक “जन-आधारित आर्थिक क्रांति” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस योजना ने देश के गरीबों, महिलाओं, किसानों और छोटे उद्यमियों को सशक्त बनाकर भारत के वित्तीय सिस्टम का लोकतंत्रीकरण किया है।
पीएम मोदी ने बताया कि अब तक इस योजना के तहत ₹33 लाख करोड़ रुपये के 52 करोड़ से ज़्यादा लोन दिए जा चुके हैं, और इसकी एनपीए दर मात्र 3.5% रही है — जो आलोचकों की आशंकाओं को पूरी तरह झुठलाती है।
योजना की प्रेरणा: ज़मीन से जुड़े अनुभव
मोदी ने बताया कि यह योजना उनके दशकों के जमीनी अनुभवों से निकली है। एक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने पूरे देश का दौरा किया और देखा कि गरीबों, किसानों और महिलाओं में हुनर और आत्मविश्वास तो है, लेकिन सिस्टम उन्हें फंडिंग नहीं देता था। मुद्रा योजना का जन्म इसी जरूरत से हुआ।
“हमने यह पहल इसलिए शुरू की ताकि गरीब को बैंकिंग और बिज़नेस दोनों में भागीदारी का मौका मिले। हमने दिखाया कि सरकार को जनता पर भरोसा हो तो बदलाव मुमकिन है,” — प्रधानमंत्री मोदी
यूपीए सरकार पर तीखा हमला
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उस दौर में बैंकों में “फोन बैंकिंग” कल्चर था, जहां लोन राजनीतिक संपर्कों से पास होते थे, न कि मेरिट पर। इसका नतीजा था कि बैंकों को बैड लोन और टूटी बैलेंस शीट्स की समस्या से जूझना पड़ा।
इसके उलट, मुद्रा योजना में बिना किसी संपर्क के आम लोगों को लोन मिला, जिससे छोटे व्यवसायों और स्वरोजगार को नई ताकत मिली।
देश का भरोसा जीता
मोदी ने कहा कि जब योजना की शुरुआत की गई थी, तब विपक्ष ने आशंका जताई थी कि छोटे लोन एनपीए में बदल जाएंगे। लेकिन आज 2 करोड़ से ज़्यादा एक्टिव लोन अकाउंट इस योजना की सफलता की कहानी खुद कह रहे हैं।
